
इस बीमारी में मैंडी के पैर की हड्डी और मांस जरूरत से ज्यादा बढ जाता है। उनके पैर का वजन बढकर 108 किलो हो गया था। जब इंफेक्शन के कारण उनका एक पैर काटना पडा तो वह पैर फिर से उगने लगा। हांलांकि डॉक्टरों ने मैंडी के पैर के लिए एक दवा विकसित की जिससे उनके पैर का वजन अब 70 किलो रह गया है।

दरअसल जब मैंडी पैदा हुई थी तो उनके पैर आम बच्चों से पांच गुना मोटे थे और बायां पैर दाएं पैर से 3 इंच बडा था। मैंडी की इस बीमारी का पता तब चला जब वह पांच साल की थी। चिकित्सक भी मैंडी की इस रहस्मयी बीमारी से हैरान थे। डॉक्टरों को लगता था की मैंडी कभी चल भी पाएगी या नहीं। लेकिन मैंडी ने अपने स्कूल, कॉलेज और मनोविज्ञान की पढाई पूरी की। वर्ष 2010 में मैंडी का पैर फिर से बढने लगा। दो वर्ष में ही मैंडी के पैर की मोटाई एक मीटर हो गई थी। इस पर चिकित्सकों ने उसका पैर काटा और जब वे उसके कृत्रिम पैर के लिए नाप ले रहे थे तो पता चला कि मैंडी का पैर तो फिर से उगना शुरू हो गया था।
इस पर मैंडी भी हताश हो गई और उसे लगने लगा कि पता नहीं वह अब कभी चल पाएगी या नहीं। इसके बाद कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय ने उनके डीएनए को मैप किया। उन्होनें पाया कि मैंडी की टांगे सामान्य से पांच गुना पडी थी। चिकित्सकों ने पाया कि उनमें एक जीन के म्यूटेशन उत्पन्न होते हैं। इस पर उन्हें एके दवा दी गई। इस दवा से मैंडी के पैर का आकार घटना शुरू हो गया। 2 साल में मैंडी के पैर का वजन 38 किलो घट गया। अब उन्हें चलने-फिरने में कम परेशानी होती है। अभी भी चिकित्सक इस परेशानी में है कि मैंडी के पैर की स्थिति में सुधार होता रहेगा या नही।

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